देहाती लेखक | वाराणसी प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी महिला भूमिहार समाज की महिलाओं ने गरीब और असहाय बच्चों के साथ अस्सी घाट पर दीपक जलाकर मनाई दीवाली महोत्सव
इस दौरान महिला भूमिहार समाज की महिलाओं ने गरीब बच्चों को वस्त्र, मिठाइयां, मिट्टी के दिए व सरसों तेल भी दिए।

महिला भूमिहार समाज की महिलाओं का कहना है कि यह पर्व भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य का माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है।
पर दूसरों को प्रकाश देता है इसलिए इस पूर्व को समाज के हर तबके को मनाने की जरूरत है इसलिए हम ये त्यौहार इन गरीब बच्चों के बीच मना रहे है।

इसके पश्चात सभी महिलाओ ने मां गंगा के तट पर दीप जलाकर एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। महिला भूमिहार समाज की संस्थापिका डा राजलक्ष्मी राय ने पटाखों से होने वाले दुष्परिणाम को बताते हुए कहा कि
” प्रदूषण से सुनने की क्षमता कम हो सकती है, तनाव का स्तर बढ़ सकता है और वन्यजीवों को परेशानी हो सकती है। इसके अलावा, पटाखों के अवशेष मिट्टी और जल निकायों को दूषित कर सकते हैं, जिससे पौधे और पशु जीवन प्रभावित हो सकते है।

हमे पटाखो से दूर रहना होगा और बच्चो को विशेषकर दूर रखना होगा। वहां उपस्थित लोगो से अपील की दीपावली पर पटाखे नहीं, दिए जलाए पूजा करें और पटाखों का बिल्कुल इस्तेमाल न करें।

इस अवसर पर डा राजलक्ष्मी राय, पूनम सिंह, प्राची राय किरन राय ,सरोज सिंह, बंदना सिंह , डॉक्टर विजेयता राय, नीलू सिंह, प्रतिमा राय, रिमझिम, प्रतिमा राय, खुशबू, पायल, बबीता, अनीता, सरिता राय, विभा राय, उत्तमा, सुमन सिंह, सीमा राय, पूजा सिंह आदि उपस्थित रही।
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